LIVE: Mustard यानी सरसों का रकबा इस बार बढ़ा है. ऐसे में इस बार सरसों का बंंपर उत्‍पादन होने का अनुमान है. ऐसे में देश में खाद्य तेलाें के लिए सरसों की भरपूर आवक रहेगी. इस बीच सवाल ये है कि क्‍या केंद्र सरकार खाद्य तेल इंपोर्ट ड्यूटी पर बढ़ाई गई छूट के फैसलों को वापस लेगी! Kisantakliv

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नमस्कार मैं मनोज भट्ट आप देख रहे हैं किसान तक सरकार ने बीते दिनों खाद तेलों को सस्ता करने की मंशा से एडिबल ऑयल इंपोर्ट ड्यूटी में छूट का फैसला लिया था उसे बढ़ा दिया है उसे सरकार ने पहले जून 20 में लिए गए फैसले के तहत 31 मार्च 204

तक ही एडिबल ऑयल में छूट का न था लेकिन सरकार ने अब इंपोर्ट ड्यूटी पर जो छूट थी उसे मार्च 2025 तक आगे बढ़ा दिया है इसके मायने यही है कि पहले जो साढ़े फीस छू छूट थी उसे साढे फीस जो किया गया था यानी कि

अब साढे फीसद इंपोर्ट ड्यूटी के साथ मार्च 2025 तक एडिबल ऑयल इंपोर्ट होता रहेगा सरकार के इस फैसले के बाद देश के सरसों किसानों की मुश्किलें बड़ी थी ऐसा माना जा रहा था कि सरसों किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है लेकिन इस बीच जो

स्थितियां बन रही है जो हालात पैदा हो रहे हैं वह संभवत सरसों किसानों को राहत दे सकते हैं हालात यह है कि इस सीजन जो सरसों की जो रिकॉर्ड बुआई हुई है और सरसों की रिकॉर्ड बुआई के बाद जो सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की जो स्थितियां बन रही है

जो अनुमान जारी किए गए हैं ऐसे में सरकार को अपने समीक्षा अपने फैसले की समीक्षा करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है असल में इस बार जो है सरसों का रकबा जो है वो पिछले साल की तुलना में दो 2.2 फी अधिक हुआ है इस बार सरसों की जो बुआई है

रिकॉर्ड 9.88 मिलियन हेक्टेयर में हुई है ऐसी स्थिति में जो अनुमान लगाया जा रहा है इस सीजन में सरसों का जो उत्पादन होगा तकरीबन 13 मिलियन टन 13.14 14 मिलियन टन एमटी हो सकता है जो सर्वकालिक उच्च स्तर यानी कि अब तक का सबसे अधिक होगा ऐसे में सरकार की जो कोशिश

थी कि आम उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्यान तेल मिले इसके लिए जो एडिबल ऑयल इंपोर्ट प जो ड्यूटी थी जिस पर कम जो कटौती की गई थी उसको 20225 तक बढ़ा दिया था उस फैसले को बदलने के लिए सरकार मजबूर हो सकती है क्योंकि देश में जब भरपूर मात्रा में

सरसों होगा तो सरकार कहीं ना कहीं उस फैसले को पलट सकती है इस फैसले को ले सकती है क्योंकि वो किसानों के नुकसान के के लिए होगा क्योंकि चुनावी साल में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं असल में सबसे पहली बात क्योंकि सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन पर हम

लोग बात करते हैं जैसा कि मौसम वैज्ञानिक समझ रहे हैं जो जान रहे हैं जो वैज्ञानिक है वो जान रहे हैं कि अभी तक का जो मौसम की स्थितियां रही है वो सरसों के अनुकूल रही है और आने वाले अभी तक सरसू में किसी भी तरह की कोई भी बीमारी देखने को नहीं

मिल रही है वैज्ञानिक मान रहे हैं कि अगर चार सप्ताह भी इस तरह का मौसम रहता है तो सरसों का उत्पादन रिकॉर्ड होगा किसी भी तरह की सरसों के रिकॉर्ड पे उत्पादन में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी वही अगर हम लोग बात करें कि किस तरीके से देश

में कितना कंज कंजमेशन होता है खाद तेलों का कितना खाद सरकार इंपोर्ट करती है तो भारत सरकार तकरीबन जो है भारत के अंदर खाद्यान तील की खपत है वो 24 से 25 मेट्रिक टन है और इसका लगभग 60 फीदी भारत सरकार इंपोर्ट करती है ऐसे में अगर हम

समझे जाना कि घरेलू जो हमारी कंजमेशन है एडिबल ऑयल का उसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी जो है वो 40 फीसद सरसों की है उसके बाद 24 फीस सोयाबीन की है और 7 फीदी मूंगफली की है वही तकरीबन 50 फीसद के आसपास 40 50 फीसद के आसपास भारत सरकार ने पिछले साल

पाम ऑयल भी एक्सपोर्ट किया था इंपोर्ट किया था तो ये कहीं ना कहीं जो स्थितियां रहती है कि वो पाम यल का जब इंपोर्ट होता है तो वो सरकार उससे सरसों को नुकसान होता है मौजूदा समय में सरसों एमएसपी से नीचे चल रहा है हालांकि अधिक उत्पादन भी सरसों

के रेट को और कम करने की स्थितियां पैदा कर सकता है लेकिन चुनावी साल में जो स्थितियां बन रही है चुनावी साल में सरकार पर एक प्रेशर रहेगा किसानों को लाभ देने के लिए तो ऐसे में सरकार जो एडिबल ऑयल इंपोर्ट पर जो छूट का जो फैसला जिसे बढ़ा

दिया गया है संभवत उसको वापस ले सकती है उस पर समीक्षा कर सकते क्योंकि जितने भी जहां जो भी सरसों उत्पादक राज्य हैं वो सभी चुनाव के लिहाज से बहुत महत्त्वपूर्ण है अगर हम लोग बात करें कि सरसों का सबसे अधिक 40 से 45 फीसद का उत्पादन जो है

अकेले राजस्थान से होता है इसके बाद तकरीबन 10 से 15 फीदी तक उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है उत्तर प्रदेश में 9 फीसद उत्पादन होता है हरियाणा में 7 फीदी सरसों का उत्पादन होता है तो ये जो चार राज्य हैं अपने आप में सरसों उत्पादन के

मामले में श्रेष्ठ हैं तो समझा जा सकता है कि कहीं ना कहीं अगर इस तरह की स्थितियां बनती है तो यह सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की तरफ चीजें आगे बढ़ती है और लगातार चुनावी साल में सरकार इस मामले को समझती है तो कहीं ना कहीं सरकार सरसों जो एडिबल

ऑयल एडिबल ऑयल प जो इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है एडिबल जो 175 से 12 125 फीदी कर दी गई थी इसकी सीमा 2025 तक कर दी गई है सरकार कहीं ना कहीं इस चुनावी साल में उस चीज को समझेगी और सर क्योंकि और कहीं चुनाव से पहले ठीक चुनाव से पहले जब सरसों

की खरीद का समय शुरू हो जाएगा तो संभवत किसानों को राहत मिल सकती है प्राइस क्या रहेगा ये एक बड़ा सवाल है प्राइस पर कह दे अभी कह पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि बाजार की चाल और सरकारी फैसलों से बहुत सारी चीजें निर्भर होगी खासकर उत्पादन से

भी बहुत सारी चीजें निर्भर होगी दाम क्या रहेगा ये कहना भी मुश्किल है हालांकि मौजूदा वक्त प सरसों के दाम एमएसपी से नीचे चल रहे हैं लेकिन सरसों किसान और सरसों किसान बड़ी संख्या में चुनावी साल चुनावी साल में है और इस वक्त जो स्थितियां बन रही है क्योंकि मध्य प्रदेश

राजस्थान हरियाणा और उत्तर प्रदेश सभी जगह बीजेपी की सरकार है हमने पिछले साल देखा था कि राजस्थान में सरसों की खरीद बहुत ठंडी हुई थी और हरियाणा में सरसों की खरीद बेहतर हुई थी तो ऐसे में एक एक प्रेशर भी रहेगा सरकार के कि सरसू की सरकारी खरीद

बेहतर हो तो उससे किसानों को एमएसपी पर दाम मिलेगा इसको लेकर स्थितियां बन रही है क्योंकि चुनावी साल में इस बार सरसू का है तो संभवत कुछ स्थितियां बनती हुई दिख रही है कि सरसों किसानों को राहत मिल सकती है हालांकि ये कह देना अभी कि सरसों किसानों

को राहत मिलेगी ये अपने आप में थोड़ा सा जल्दी बाजी होगी लेकिन सरसों का जिस तरह से रिकॉर्ड उत्पादन होने की तरफ स्थितियां बढ़ रही है सरसों की बुवाई ने रिकॉर्ड तोड़ा है और अब तक सरसों का सबसे अधिक उत्पादन होने की स्थितियां बन रही है तो

ऐसी स्थिति में सरकार अपने उस फैसले को की समीक्षा करने के लिए मजबूर हो सकती है इस फैसले से पाम बड़ी संख्या में सस्ता पाम ऑयल भारत आ सकता था और उस सस्ते पाम यल के आने से सरसों के दाम पिछले साल जिस तरीके से नीचे गए हैं

या जाते रहे हैं वो और नीचे जा सकते थे ऐसी स्थिति में सरसों के दामों को थोड़ा सा राहत मिल सकती है हालांकि दूसरी तरफ जो स्थितियां बन रही है वो यह भी है कि इंटरनेशनल लेवल पर इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम ऑयल का उत्पादन भी प्रभावित हुआ

है तो अलीन की वजह से अलीन की वजह से अगर पाम ल का उत्पादन प्रभावित होता है तो इसकी वजह से कच्चे पाम ऑयल के दाम थोड़ा सा बढ़े होंगे और इंपोर्ट ड्यूटी में सरकार अपना फैसला अगर वापस लेती है तो कहीं ना कहीं अ फिर पाम ऑयल इंपोर्ट करना

भी महंगा होगा और सरसों की रिकॉर्ड उत्पादन के बाद जो सरसों के एमएसपी के आसपास अगर मिलता है तो किसानों को ये दोनों ही चीजें राहत दे सकती हैं ये हमारी कोशिश थी आपको हमारी कोशिश कैसी लगी इसे बताइएगा अगर आपको हमारा ये प्रयास अच्छा लगता है तो हमें शेयर कीजिए सब्सक्राइब

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5 Comments

  1. आप‌ इस मुद्दे ‌को सरकार को अवगत कराये ताकि किसानों को उचित ‌ भाव मिल सके

  2. Sir. Rajasthan. Kai. Kissano. Ki. Mukya. Phasal. Sarso. Soyabin. Hai. Es. Sarkar. Mai. Kissan. Na. Marnai. Kai. Rahe.. N. Jinai. Kai. Rahe

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