Calcutta High Court Orders Demolition of Illegal Tower | Landmark Judgment on Apartment Owners’ Rights | Elita Garden Vista, Kolkata
In this detailed video, we analyze the landmark Calcutta High Court judgment ordering the demolition of an illegal 16th tower in the Elita Garden Vista residential complex, New Town, Kolkata. This case highlights crucial aspects of property rights, developer accountability, and legal protections for apartment owners under the West Bengal Apartment Ownership Act, 1972, and related laws.
🔹 Know about the original and revised building plans and how the unauthorized tower was constructed without owners’ consent.
🔹 Understand the key legal issues including consent requirements, statutory violations, and constitutional property rights under Article 300A.
🔹 Learn about the court’s observations, final orders including demolition, refunds with interest, and investigations against officials responsible for fraudulent sanctions.
🔹 Discover the broader legal significance of this judgment in protecting buyer rights and municipal authority limits.
🔹 See how this case compares and differs from other famous real estate disputes like the Supertech Twin Tower demolition.
Whether you are a real estate buyer, legal enthusiast, or property developer, this video sheds light on the importance of legal compliance and owners’ consent in construction projects.
हेलो दोस्तों, आज हम बात करने वाले हैं एक लैंडमार्क जजमेंट के बारे में। हाईकोर्ट ने एक रेजिडेंशियल सोसाइटी जिसका नाम एलिटा गार्डन विस्टा है उसके एक पूरे टावर को तोड़ने का आदेश पारित किया है। यह केस उन सभी फ्लैट बायरर्स के लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट है जो फ्लैट खरीदने की सोच रहे हैं या फिर फ्लैट ले चुके हैं किसी बड़ी सोसाइटी में जहां पे कोई कोर्ट केस या इशू पेंडिंग है और या तो ऑक्यूुपेंसी सर्टिफिकेट का भी इशू चल रहा है। वीडियो स्टार्ट करने के पहले यह जानना जरूरी है कि हम इस वीडियो में क्या-क्या कवर करने वाले हैं। तो सबसे पहले हम उस सोसाइटी के बारे में जानेंगे जिस सोसाइटी के अंदर के एक टावर को तोड़ने का फैसला दिया गया है। तो एलिट गार्डन विस्टा के बारे में हम जानेंगे। एलिट गार्डन विस्टा में कौन सा टावर है जिसको गिराने के बारे में बात की गई है। इशू क्या है? एक्चुअली क्यों ऐसा आया जजमेंट कि इसको तोड़ना ही पड़ेगा। व्हाट इज द लॉ व्हिच इज बीइंग वायलेटेड? तो कौन सा लॉ है जिसको वायलेशन हो रहा है। क्या-क्या इशूज़ हैं जो कोर्ट ने कंसीडर किया और उस पे क्या-क्या ऑब्जरवेशंस दिया कोर्ट ने और क्या-क्या फाइनल कोर्ट ने डायरेक्शन ऑर्डर्स पास किए। इस जजमेंट का क्या सिग्निफिकेंस है? आप सभी को सुपरटेक ट्विन टावर्स डिमोलिशन केस तो याद ही होगा 2022 का नोएडा में। जब इंडिया में सबसे पहली बार इतनी बड़ी कोई टावर को डिमोलिश किया गया था। तो क्या यह केस सुपरटेक ट्विन टावर्स जैसा ही है या कुछ अलग है? यह सभी बातें हम इस वीडियो में करेंगे। तो दोस्तों, आप इस वीडियो को पूरे अंत तक देखिए। यह सोसाइटी एलिटा गार्डन वेस्टा आपका न्यू टाटाउन एक्शन एरिया थ्री में पड़ता है। न्यू टाटाउन को न्यू कोलकाता भी बोला जाता है। अगर आप कोलकाता से नहीं है तो आपको बता दें कि न्यूटाउन जो है वही जगह है जहां पे सारे आईटी कंपनीज़ और सारे नए डेवलपमेंट्स हो रहे हैं। ये एलिट गार्डन विस्टा शाहपुरजी बस स्टैंड के जस्ट बगल में है और यह काफी हाई एंड सोसाइटी है। आगे वीडियो में हम इसके बारे में डिटेल में बात करेंगे। तो क्या बैकग्राउंड है इस मैटर का पूरा समझते हैं। 2007 में यह एलिट गार्डन vstा को केपल मैगस प्राइवेट लिमिटेड करके एक कंपनी है। केपल मैगस जो है वो सिंगापुर का एक बिल्डर है। तो उसने कैलिटा गार्डन विstा का स्थापना स्टार्ट किया 2007 में। उस समय 15 टावर्स थे और इतना था ये सब डिटेल्स है। उसके बाद ओरिजिनल बिल्डिंग प्लान जो था वो आपका सेंशन किया गया था एनकेडीए से। उसके बाद 2010 में एग्रीमेंट फॉर सेल हुआ 15 टावर्स में विद द ओरिजिनल डेवलपर आपका कैपल मैगस के साथ। फिर 2012 में अपार्टमेंट ओनर्स ने फाइल किया डिक्लेरेशन फॉर्म ए जो कि वेस्ट बंगाल अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट के अंदर में होता है जिसको रिकॉग्नाइज किया और आपका 1278 1278 अपार्टमेंट ओनर्स को रिकॉग्नाइज किया गया इस लॉ के अंदर में। 2013 में कन्वयंस डीड हुआ सारे फ्लैट्स का और 2015 में पोज़ेशन जो है हैंड ओवर किया गया बाय द ओरिजिनल डेवलपर टू दी न्यू परचेसर्स जो केस में गए भी हैं। एनकेडीए ने पार्शियल ऑक्यूुपेंसी सर्टिफिकेट एज़ पर 2007 सेंक्शन प्लान दिया। तो 2007 में जब ये प्रोजेक्ट का बिगिनिंग स्टार्ट हुआ था तो एक सेंशन प्लान इशू किया गया था बाय एनकेडीए। एनकेडीए को न्यू टाउन न्यू टाउन कोलकाता डेवलपमेंट अथॉरिटी इसलिए इसको एनकेडीए बोलते हैं। ये एनकेडीए आपका म्युनिसिपल कॉरपोरेशन है जो उस एरिया को पूरा गवर्न करता है और सारे सोसाइटी में एनकेडीए से ही म्यूटेशन होता है और एनकेडीए इज द एप्रोप्रियट अथॉरिटी। तो Apple मैगस डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने 2015 में एलिट गार्डन विस्टा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को अपना लैंड बेच दिया। ये जो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है ये आपका तीन जो बिग बिल्डर्स हैं कोलकाता के उनका जॉइंट वेंचर या जॉइंट कोलैबोरेशन में था। इनका एक कंसोडियम था जिनको इन्होंने बेचा क्योंकि सिंगापुर बिल्डर वहां काम नहीं करना चाहते थे या जो भी इसलिए इन्होंने बेचा और ये मर्लिन सुरेखा और जेबी ग्रुप के द्वारा एक्वायर किया गया तो फज़ वन जो है वो रेडी किया गया बाय टपल मैगनेटस और फज़ टू जो है ये आपका कंसोलिडियम जो है उसके द्वारा किया गया और इसको हम बोलेंगे ओल्ड प्रमोटर और इसको हम बोलेंगे न्यू प्रमोटर इसके बारे में काफी डिटेल्स ऑनलाइन अवेलेबल है। आप चेक कर सकते हैं। फिर 2015 में क्या होता है कि जो न्यू प्रमोटर है वो रिवाइज्ड सेंशन प्लान एनकेडीए से ले लेती है फॉर 16th टावर 26 फ्लोर्स तो ये 16 टावर जो है टावर नंबर एट है ठीक है एंड अ न्यू कमर्शियल कॉम्प्लेक्स विदाउट ओनर्स कंसेंट तो जितने ओनर्स को पहले कंसेंट जिन्होंने फॉर्म ए फाइल कर दी उनके बिना कंसेंट लिए 2015 में ये जो न्यू प्रमोटर बने तीनों कंपनी के इन्होंने एन के डीए से एक रिवाइज सेंशन प्लान ले लिया। फिर ओल्ड ओनर बिकम अवेयर ऑफ द रिवाइज सेंशन प्लान वेयर फॉर्म बी वास प्रोपोज्ड टू बी बाय डेवलपर्स टू द कॉम्पिटेंट अथॉरिटी इंडिकेटिंग एडिशन ऑफ द 16थ टावर टावर एट एंड कमर्शियल कॉम्प्लेक्स। तो जब फॉर्म ए में ऑलरेडी हो गया था साइन। उसके बाद डेवलपर जो नया प्रमोटर था उसने फॉर्म बी सर्कुलेट किया ओनर्स को जिसमें ये 16 टावर्स 15 के जगह 16 टावर दिखाया गया और एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी दिखाया गया। फिर जो ग्रीफ पार्टी थे जो पुराने ओनर्स थे उन्होंने एनकेडीए के साथ कम्युनिकेट किया और नया प्लान को ऑब्जेक्ट किया एंड सॉ टू ऑब्ट्स एंड सॉर्ट टू स्टॉप कंस्ट्रक्शन एंड रिवाइव द ओरिजिनल प्लान तो उन्होंने काफी हल्ला बुल्ला किया और ये बहुत मीडिया में भी आया था इसके बारे में ऑनलाइन बहुत सारी चीजें हैं। आप देख सकते हैं जैसे कि ये फोटो पब्लिक अवेलेबल है। पब्लिक डॉक्यूमेंट है ये। और अब ये डिफरेंस है। ये है आपका ओरिजिनल प्लान जो 2007 में एनकेडीए ने सेंशन किया। और ये है 2015 में सेंशन किया हुआ प्लान जो एनकेडीए ने किया। यहां पे 16 टावर्स हैं और यहां पे 15 टावर्स हैं। और ये है टावर एट इसको डिमोलिश करने का बात हो रहा है। इस नए सेंशन प्लान के हिसाब से ये जो है आपका फज़ वन पे आता है। ये फज़ वन आपका जो सिंगापुर की कंपनी थी कैपल मैगस उसने ही डेवलप कर दिया था। उसके बाद फज़ टू जो है आपका ये है जो नया कंसोटियम मेंबर जो बना मर्डन सुरेखा और जेबी ग्रुप इन्होंने मिलके डेवलप किया। इसके अलावा एक यहां पे कमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी किया जो कि हाई कोर्ट ने बोला है कि इललीगल है और यहां पे एट्थ टावर ये है। दिस इज द एट्थ टावर इसको डेमोलिश करने का बारे में कोर्ट ने अभी 29 अगस्त को आर्डर दिया है। फिर देखते हैं चलिए कोर्ट केसेस कैसे चला। तो 2018 में कॉमटेंट अथॉरिटी अंडर अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट ने प्रमोटर का जो अमेंडमेंट एप्लीकेशन था फॉर्म भी उसको रिजेक्ट कर दिया क्योंकि सारे ओनर्स का साइन नहीं था और 2018 में एपिलेंट्स को एपिलेंट जो पुराने ओनर्स थे उन्होंने फॉर्मली ऑब्जेक्ट किया टू द मॉडिफाइड सेंशन प्लान बाय एनकेडीए सीकिंग स्टॉपेज ऑफ कंस्ट्रक्शन तो टावर एट का जो कंस्ट्रक्शन है 2018 में कंप्लीट नहीं हुआ था उसके बाद 2018 में जो पुराने ओनर्स थे उन्होंने हाई कोर्ट में एक रिट पिटीशन फाइल किया फॉर डिमोलेशन एंड अदर रिलीज रिगार्डिंग ए टावर नंबर एट एंड रिवाइज प्लान। फिर 5 सितंबर 2018 को सिंगल बेंच द्वारा एक इंट्रिम ऑर्डर पास किया गया। जहां पे कोर्ट ने यह बोला कि प्राइमाफेसी इललीगलिटी इन रिवाइज सेंशन प्लान बट रिफ्यूज टू होल्ट कंस्ट्रक्शन। कंस्ट्रक्शन परमिटेड टू अबाइड आउटकम ऑफ द रेड पिटीशन प्रोमोटेड प्रोमोटेड डायरेक्टेड टू नोटिफाई बयरर्स ऑफ रिस्क रिस्पांसिबिलिटी अंडरटेिंग टू डिमोलिश इफ लेटर डिक्लेयर्ड इललीगल तो कोर्ट ने इसको कंडीशनल कंस्ट्रक्शन बना दिया और 2018 तक जब यह इंट्रिम ऑर्डर पास हुआ था फिफ्थ ऑफ सेप्टेंबर में तब तक 15 फ्लोर्स ही बना हुआ था जिस टावर को अभी डिमोलिश करने के बाद हो रही है उस समय आउट ऑफ 26 15 फ्लोस ही कंप्लीट हुए। फिर 1 अप्रैल 2022 में भी कोर्ट ने हाई कोर्ट ने रिफ्यूज कर दिया कंस्ट्रक्शन को स्टे करना एंड रीइटरेटेड द कंडीशन ऑफ़ फिफ्थ सप्टेंबर 2018 ऑर्डर। तो 2018 से मैटर पेंडिंग रहा 2022 तक। उसके बाद 2023 में जो कमर्शियल कॉम्प्लेक्स है जो प्रमोटर बना रहा था उसके लिए भी एक अलग सा एप्लीकेशन फाइल किया गया कि भैया उसको भी रोका जाए। फिर 18th अक्टूबर 2023 में फाइनली हाई कोर्ट के सिंगल जज बेंच ने इस केस को डिसाइड किया और कोर्ट ने जो पुराने ओनर्स ने केस फाइल किया था उसको डिसमिस कर दिया यह कहते हुए कि एनकेडी एक्ट 2007 जो है उसका ओवराइटिंग इफेक्ट है टू द 1972 एक्ट और ये भी बोला कि ये जो 1972 का जो एक्ट है इसमें प्रोविजंस नहीं है यूपी वाले एक्ट के जैसा जो कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑब्जर्व किया था सुपरटेक लिमिटेड में तो कोर्ट ने डिस्टिंग्विश किया और कहा कि क्योंकि एनकेडीए एक्ट में एक नॉन ऑब्सेंटे क्लॉज़ है जिसमें जो कि ओवराइडिंग क्लॉज़ होता है जो कि स्टार्ट होता है नॉट विद स्टैंडिंग एनीथिंग कॉन्ट्ररी तो क्योंकि यहां पे आपका सेक्शन 184 ऑफ़ एनकेडीए एक्ट में वैसा क्लॉज़ है तो एनकेडीए इज़ द सुप्रीम अथॉरिटी जो कि डिसाइड कर सकती है। तो कोर्ट ने इसीलिए सिंगल जज बेंच ने 18th अक्टूबर 2023 को मैटर को डिसमिस कर दिया। उसके बाद करंट जो पुराने ओनर्स थे उन्होंने अपील फाइल किया। यह दो अपील फाइल हुआ 2023 में बिफोरक हाई कोर्ट और ये मैटर दो जज बेंच डिवीजन बेंच में जिसको प्रसाइड करते हैं उसके समक्ष गया 2023 में 2023 से लेके 2025 18th अगस्त तक ये मैटर चला हियरिंग्स चले और 18th अगस्त को हियरिंग कंक्लूड हुआ और 29th अगस्त को फाइनल जजमेंट आया। तो अब चलिए जजमेंट के बारे में समझते हैं। इसके पहले कि हम जजमेंट के बारे में जाएं। एक बार इंपैक्ट देख लेते हैं कि जो ओरिजिनल प्लान था 2007 वाला और जो रिवाइज प्लान था एनकेडीए द्वारा 2015 में उसमें क्या डिफरेंसेस हैं। ये 2015 वाला जो प्लान है ये बिना पिछले ओनर्स के कंसेंट का लिया गया था। तो ओरिजिनल प्लान में आपके 15 टावर्स थे। जबकि रिवाइज्ड प्लान में 16 टावर्स। तो टोटल आपका एक अनथराइज्ड टावर रहा। और टोटल फ्लैट्स जो हैं ओरिजिनल प्लान में आपका 2007 में 12878 थे और रिवाइज प्लान में 1511 इसका मतलब 233 एडिशनल फ्लैट्स बढ़ गए और पार्किंग जो है वो आपका 1947 हो गया 1688 इंडिविजुअल्स शेयर जो है क्योंकि फ्लैट सिस्टम में अपार्टमेंट सिस्टम में जो लैंड होता है उसमें सबका अनडिवाइडेड शेयर होता है। जो ओनर्स होते हैं फ्लैट के उनका लैंड पे अनडिवाइडेड शेयर होता है। तो उनके शेयर में जो है उनका शेयर घट गया 2007 के हिसाब से जो कि 0.1% था वह हो गया 0.08% 20% रिडक्शन हो गया ओनरशिप और ओपन एरिया जो था वो सब्सटैंशियली ज्यादा था वो कम हो गया क्योंकि एक टावर का एक पूरा का पूरा टावर आ गया 26 क्लोज का तो ये सिग्निफिकेंट लॉस था और रोड पाथवे जो है वो आपका 6000 प्लस स्क्वायर मीटर का रिडक्शन हुआ। अब इस जजमेंट में जब यह कोर्ट के समक्ष गया तो क्या-क्या लीगल इश्यूज थे जो कि हाई कोर्ट के सामने आए। पहला कंसेंट रिक्वायरमेंट वेदर एकिस्टिंग फ्लैट ओनर्स कंसेंट नीडेड फॉर एडिशनल कंस्ट्रक्शन। तो क्या जो फ्लैट ओनर्स अभी वहां रह रहे हैं पहले के उनका कंसेंट रिक्वायर्ड है एस पर लॉ कोई भी एडिशनल कंस्ट्रक्शन के लिए? तो कोर्ट ने यह इशूज़ बनाया। इसका जवाब आगे कोर्ट ने दिया है तो हम देखेंगे उसको डिस्कस करेंगे डिटेल में स्टचटरी वायलेशंस ब्रीच ऑफ वेस्ट बंगाल अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट 1972 एंड प्रमोटर्स एक्ट 1993 तो क्या स्टटरी वायलेशंस हुए हैं इस एक्ट का वायलेशंस हुआ प्रॉपर्टी राइट्स जो पुराने ओनर्स का जो राइट है प्रॉपर्टी में जो हम देख रहे हैं कि कम हो गया एक टावर के आने के बाद तो क्या यह वायलेशन है आर्टिकल 300 ए जो कि कॉन्स्टिट्यूशनल राइट टू प्रॉपर्टी देता है और अथॉर अथॉरिटी का पावर क्या है? एनकेडीए बीइंग दी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन कैन इट ओवराइड अदर प्रॉपर्टी लॉज़ क्योंकि 1972 वाला जो है वह वेस्ट बंगाल का एक्ट है और एनकेडीए सिर्फ न्यूटाउन एरिया में वो करती है तो वो सिर्फ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन है फॉर दैट एरिया तो क्या वो ओवराइड कर सकती है एक लॉ को फ्रॉडलैंड सेंशंस प्लान ऑब्टेंड थ्रू सेपरेशन ऑफ मटेरियल फैक्ट क्या जो प्लान था 2015 का जो बाद में आया न्यू प्रमोटर द्वारा क्या उसको प्रॉपर्ली लिया गया था कि प्रोडलेंटली ऑब्टेन किया गया। अब कोर्ट के क्या-क्या की ऑब्जरवेशंस हैं वही हम डिस्कस करेंगे। द ओरिजिनल प्रोजेक्ट सेंशन इन 2007 इंक्लूडेड ओनली 15 टावर्स। इन 2015 द प्रमोटर ऑब्टेंड अ रिवाइज सेंशन प्लान फॉर अ 16th टावर एंड अ कमर्शियल कॉम्प्लेक्स विदाउट नोटिफाइंग और सिक्योरिंग कंसेंट फ्रॉम द एकिस्टिंग फ्लैट ओनर्स। तो कोर्ट ने ये ऑब्जर्व किया कि बिना कंसेंट के जो प्रमोटर थे उन्होंने 2015 में सेंक्शन प्लान लिया बिना कंसेंट के फॉर द होल टावर 16th टावर जो कि टावर नंबर एट है और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के लिए फ्लैट ओनर्स अनडिवाइडेड लैंड शेयर एंड कॉमन फैसिलिटीज वर रिड्यूस्ड विदाउट कंसेंट वायलेटिंग देयर राइट्स। तो जो फ्लैट ओनर्स हैं उनका जो अनडिवाइडेड लैंड शेयर है जैसा मैंने आपको समझाया कि कोई भी अपार्टमेंट में जितने भी फ्लैट ओनर्स होते हैं उनका एक अनडिवाइडेड लैंड शेयर होता है। सपोज़ कीजिए ये अपार्टमेंट जो है बिल्डिंग अगर अर्थक्वेक में कुछ हो जाता है तो वो जो लैंड है उसमें अनडिवाइडेड शेयर रहेंगे इन सभी ओनर्स का। तो कोई भी सेल डीड में आप देखेंगे ऐसा एक अवमेंट भी रहता है कि अनडिवाइडेड शेयर इन द लैंड। तो कोर्ट ने ऑब्जर्व किया कि 2015 में जब सेंशन प्लान लिया गया विदाउट कंसेंट ऑफ द ओल्ड ओनर्स जिन जो कन्वेंस डीड हो गया था 2015 के पहले ही तो उसमें ओनरशिप में रिडक्शन आया जो कि उनका राइट का वायलेशन द कोर्ट फाउंड दैट बोथ द 1972 अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट एंड द 1993 प्रमोटर एक्ट मैंडेट द कंसेंट ऑफ एकिस्टिंग फ्लैट ओनर्स बिफोर एनी एडिशनल कंस्ट्रक्शन इज़ परमिटेड। तो कोर्ट ने यह ऑब्जर्व किया कि ये दोनों एक्ट के हिसाब से कंसेंट फ्लैट ओनर्स का कोई भी एडिशनल कंस्ट्रक्शन के पहले जरूरी है। और यह मैंडेटरी द एनकेडीए एक्ट 2007 डज़ नॉट ओवराइड दीज़ रिक्वायरमेंट्स। दी नॉन ऑब्सेंटे क्लॉज़ डज़ नॉट एक्सक्लूड द नीड टू कंप्लाई विद दी अदर टू एक्ट्स। तो एनकेडीए एक्ट जो है वो ओवराइड नहीं करती है ये दोनों एक्ट। क्योंकि यह दोनों एक्ट पूरे स्टेट में लागू अह एप्लीकेबल है। जबकि एनकेडीए एक पर्टिकुलर म्युनि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन है फॉर न्यू टाटाउन एरिया। सो एनकेडीए एक्ट कैन नॉट ओवराइट दीज़ एक्ट। दिस वाज़ ऑब्ज़र्व्ड बाय द हाई कोर्ट। द कोर्ट रूल्ड दैट द रिवीज़ सेंशन प्लान वाज़ ऑब्टेंड बाय फ्रॉड एंड सप्रेशन ऑफ की फैक्ट्स एंड इज़ देयरफ़ वॉइड। कोर्ट ने ऑब्जर्व किया कि 2015 का जो सेंशन प्लान है उसको फ्रॉड के द्वारा और सप्रेशन ऑफ की फैक्ट क्योंकि कंसेंट नहीं लिया गया था तो इसको सप्रेस करते हुए एनकेडीए द्वारा लिया गया सेंशन प्लान इललीगल कंस्ट्रक्शन वायलेट्स आर्टिकल 300 ए ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन। सो आर्टिकल 300 ए जो है वह आपका कॉन्स्टिट्यूशनल राइट टू प्रॉपर्टी है और इललीगल जो कंस्ट्रक्शन किया गया नए प्रमोटर द्वारा वो पुराने जो ओनर्स थे उनका जिनसे कंसेंट नहीं लिया गया था उनका कॉन्स्टिट्यूशनल राइट को वायलेट करता है। इसीलिए कोर्ट ने ऑब्जर्व किया कि देयर इज़ नो अल्टरनेटिव टू डिमोलिशन फॉर सच अनऑथराइज्ड एडिशनल स्ट्रक्चर्स। इसका कोई और कोई अल्टरनेटिव नहीं है। डेमोलिशन ही एक उपाय है जिससे राइट्स प्रोटेक्ट किया जा सके। कोर्ट ने यह भी ऑब्जर्व किया कि जो सेल एग्रीमेंट में जो क्लॉजेस हैं इट कैन नॉट वेव स्टचटरी राइट्स। क्योंकि टावर एट और न्यू प्रमोटर के बीच में सेल एग्रीमेंट्स हुए थे। तो कोर्ट ने ऑब्जर्व किया कि उसको वो स्टचटरी राइट को वायलेट वो ओवराइड नहीं कर सकता। फाइनल ऑर्डर कोर्ट ने क्या पास किया? पहला डिमोलेशन ऑफ द 16th टावर टावर नंबर एट द डिमोलेशन इज टू बी कैरिड आउट बाय द प्रमोटर और बाय एनकेडीए एट द प्रमोटर्स कॉस्ट विद इन 2 मंथ्स तो डिमोलेशन किया जाएगा टावर एट का और डिमोलेशन जो है किसके खर्चे पे होगा तो नए प्रमोटर जो है उनके खर्चे पे होगा अगर वो नहीं कर किया तो एनकेडीए द्वारा किया जाएगा और प्रमोटर से कॉस्ट लिया जाएगा और ये डिमोलेशन जो है 2 महीने के भीतर होना है। रेजिडेंट्स जो हैं रेजिडेंट्स जो हैं क्योंकि टावर एट में अभी रेजिडेंट्स रह रहे हैं तो वो रेजिडेंट्स को अपना सामान हटाने के लिए एक महीना दिया जाएगा और वो निकाल ले परचेसर्स जो हैं जो ओनर्स हैं नए टावर के उनको उनका पैसा रिफंड किया जाएगा विद 7% इंटरेस्ट और इन्वेस्टिगेट किया जाएगा और क्रिमिनल एंड डिपार्टमेंटल इंक्वायरी बैठाया जाएगा उन एनकेडीए ऑफिशियल्स और प्रमोटर्स के अगेंस्ट में जो जिनके कारण यह पूरा पूरा इशू आया है और जिनके कारण आज के डेट में डिमोलेशन का यह ऑर्डर हाई कोर्ट द्वारा पास किया गया है। तो प्रोमोटर और एनकेडीए ऑफिसर्स जो लोग इनवॉल्वड हैं उनके अगेंस्ट में एप्रोप्रियट लीगल प्रोसीडिंग्स इनिशिएट किया जाएगा। ऑफिसर्स एंड इंजीनियर्स इनवॉल्वड इन द इललीगल एक्शन आर टू बी इन्वेस्टिगेटेड बाय द स्टेट विजिलेंस कमीशन। जैसा मैंने बताया उनके अगेंस्ट एक्शन लिया जाएगा। करप्शन स्टेट विजिलेंस ये भी किया। अब इस ऑर्डर का इस जजमेंट का क्या सिग्निफिकेंस है? क्या लीगल सिग्निफिकेंट यह जजमेंट जो है कुछ कुछ चीजों के लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। पहला कि डेवलपर का क्या अकाउंटेबिलिटी है और कंसेंट कितना जरूरी है उस चीज के लिए। दूसरा प्रॉपर्टी राइट का जो प्रोटेक्शन दिया गया है अंडर आर्टिकल 300 ए ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन उसके बारे में म्युनिसिपल अथॉरिटी का क्या लिमिट्स हैं? एंड म्युनिसिपल अथॉरिटी कैन नॉट ओवराइट दी स्टचटरी लॉ उसके बारे में बायर प्रोटेक्शन इन द रियलस्टेट डिस्प्यूट्स तो जो बायर हैं उनका प्रोटेक्शन कैसे किया जाए क्योंकि इस जजमेंट में हमने देखा है कि टावर एट जो हैं जिनको पता था कि अगर वो सब्जेक्ट टू हाई कोर्ट ऑर्डर्स हैं तब भी उन्होंने फ्लैट तो उनको कैसे प्रोटेक्ट किया गया है कोर्ट द्वारा क्योंकि उनका पैसा जो है विद 7% इंटरेस्ट कोर्ट ने डायरेक्ट किया है प्रमोटर को लौटाने के डेमोलेशन एज अ रेमेडी फॉर अन ऑथराइज्ड कंस्ट्रक्शन। तो कोई भी अनऑथराइज्ड कंस्ट्रक्शन के लिए डेमोलेशन ही एक रेमेडी। द केस डेमोंस्ट्रेट्स दैट पैसेज ऑफ़ टाइम एंड थर्ड पार्टी इंटरेस्ट कैन नॉट लेजिटिमाइज इललीगल कंस्ट्रक्शन ऑब्टेंड थ्रू फ्रॉड एंड वायलेशन ऑफ़ स्टचटरी रिक्वायरमेंट्स। तो यह केस पूरा यह जजमेंट दर्शाता है कि अगर फ्रॉड के द्वारा या अगर कोई भी मींस के द्वारा अगर कोई चीज इललीगल किया गया है और जिसका टाइम काफी देर से हो गया है जैसे इस केस में 2015 से आज 2025 तक वो इललीगल कंस्ट्रक्शन रहा टावर एट का और 2018 में ही हाई कोर्ट के समझ के मैटर गया था तो सिंस 2018 टू 2025 जब ये मैटर और इतने डिले के दौरान जब थर्ड पार्टी इंटरेस्ट आ गया वहां टावर एट में लोग रहने लगे तब भी उसको लेजिटिमाइज नहीं किया जा सकता। अगर कोई चीज गलत है तो वो गलत। अब देखते हैं कि हमारा जो एलिट गार्डन विstा का यह जो जजमेंट है और यह जो सुपर टेक ट्विन टावर्स वाला जो केस हुआ 2022 में इसमें क्या डिफरेंस है। तो सुपरटेक ट्विन टावर्स वाला जो 2022 में जो डेमोलेशन हुआ उसमें ये इंपॉर्टेंट है ध्यान देना कि उस दो टावर्स में कोई रहता नहीं था। जबकि एलिटा गार्डन विस्टा के जो टावर एट है जिसको डिमोलेशन करने का हाई कोर्ट द्वारा आर्डर आया है उसमें सभी फ्लैट्स ऑक्यूपाइड है लगभग और इसमें लोग रह रहे हैं और लोगों ने इंटीग्रेस कराया तो कोर्ट ने सुपर टेक रिलेटेड एक ऑब्जरवेशन दिया है इस जजमेंट में। कोर्ट ने यह ऑब्जर्व किया कि जो कंस्ट्रक्शन रिड्यूस हुआ जो अनडिवाइडेड इंटरेस्ट ऑफ द ओरिजिनल वो आपका सुपरटेक में भी हुआ था और यहां पे भी हुआ है एलिटा गार्डन में। तो यह एक कॉम्युनलिटी है जिसके कारण जो पुराने ओनर्स हैं जैसे सुपरटेक में जो पुराने ओनर्स हैं उनका जो अनडिवाइडेड शेयर इन द लैंड था वो घट गया इस नए टावर के आने के और सेम वहां सुपरटेक केस में भी सेंक्शन नहीं लिया गया था विदाउट अच्छा कोर्ट ने तो ऑर्डर दे दिया कि जो टावर एट के जो ओनर्स हैं उनको पैसा रिफंड कर दिया जाए विद 7% इंटरेस्ट क्या जो टावर एट के जो ओनर्स हैं वो जो इंटीरियर कराए हैं वहां पे स्टैंप ड्यूटी दिए हैं रजिस्ट्रेशन फी दिए हैं टू गेट द फ्लैट रजिस्टर्ड इन देयर नेम उसका क्या होगा वो क्या रिफंड क्लेम कर सकता तो इस चीज के एक लीगल प्रिंसिपल को ध्यान देना बहुत जरूरी है इसका नाम है केविएट इसका मतलब होता है बयर बी अवेयर मतलब कोई भी सेलर बायर रिलेशनशिप में कभी भी बायर जो होता है उसका एक लीगल ऑब्लिगेशन रहता है कि वह अपना ड्यू डलिजेंस अच्छे से ये जो जजमेंट ये जो फोटो है आपका जो पुराना सेंशन प्लान और नए सेंशन प्लान और जहां ऑब्जेक्शन उठाया जा रहा है पुराने ओनर्स द्वारा ये पब्लिकली अवेलेबल है और ये ड्यू डजेंस अच्छे से नहीं किया टावर एट के ओनर्स ने और ये लोग इसीलिए तो इट इज हाइली अनलाइकली कोई भी फर्दर रिलीफ टावर एट के ओनर्स को मिलने वाला है सब्जेक्ट टू जुडिशियल ऑर्डर्स यह देखने लायक होगा कि अब सुप्रीम कोर्ट कोर्ट इस मैटर में क्या जजमेंट इसीलिए कोई भी फ्लैट लेने के पहले ड्यू डजेंस बहुत जरूरी अप्रूवल्स और यह सब भी ध्यान देना बहुत जरूरी प्रॉपर्टी खरीदने वक्त हमेशा ड्यू डलिजेंस करें। अप्रूवल्स चेक करें और अपने राइट्स जाने और अपने राइट्स को प्रोटेक्ट करें और अपने पैसे को ही प्रोटेक्ट। तो दोस्तों, यह था वीडियो कोक हाई कोर्ट के जजमेंट। आई होप आपको वीडियो पसंद आया होगा। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया तो जरूर इसको लाइक करें, शेयर करें और अपने दोस्तों के साथ जो फ्लैट लेने वाले हैं या कोई बड़ी सोसाइटी में फ्लैट लिए हुए हैं जहां पर ऐसा कोई इशू है।
27 Comments
Nicely described. Theses type of Promotors must be punished and fined heavily. Not only that they should also be barred for at least 5 years.
Well explained, thank you. However, caveat emptor is not buyer protection against connivance and fraud by the promoters and authorities as it took a court judgement to expose the case. No. The promoters may NOT revise any sanctioned plan to peddle property as once the title has passed, the land and it's property does NOT belong to the promoters any more. Hence ALL consequent costs must be paid back to the buyer, including cost of inconvenience to existing owners and registration and stamp duty and interior development costs to the new owners. This is NOT a case of caveat emptor as it is established that fraud and connivance took place. The new buyers cannot be aware of matters that were concealed through fraud and connivance. So ALL consequent costs will have to be borne by the promoters and the errant authorities for indulging in fraud which masks caveat emptor by definition.
As always, Law guide has best description of facts
Very good news ❤
Valuable law consultancy regarding purchase of dream home of common citizens. Thanks a lot 🙏
This judgement is against the flat buyers. Not against promoters. Nobody will get refund from promoters.
One of the best presentations. Precise & to the point.
Eden Realty ki Solaris Serampur project me main ek buyer hun, jaha promoter ne pehle Solar plant lagane ki promise karke ab cancel kar diya, project delay Kiya. Aur ab Fake OC ke maddham se flat registry karwa raha hain. Unki diya hua OC me jo building plan sanction ki date hain aur Agreement me jo date hain, dono ke bich 28 month ka antar hain. Aur plan number bhi alag hain. Ek aisi tower us OC me include hain, jiska abhi bhi kaam chal raha hain. Aur bhi fraud hain. Kya aap iske uppar ek video bana sakte hain ?
Nice information
Voice recordings not good very hazy sir ..
Very nicely explained 👏 👌 Bravo. Issue is many buildings in kolkata will be demolished if rules are followed like Singapore. What were the banks doing when they gave loans.
Sir voice kaanon me chubh raha hai apka mic thik krlo
It seems the demand by the owner association is wrong and not sure if this can be changed in due course of time. Since demolition will lead to debris in that area along with dust which can result in severe health issues and also demand of the house or prices in this project will go down. I guess win is coming with a price which will be paid in future.
Why court not order to arrest and file case against who build and approved this tower.
good
Cannot be brief and presise in your presentation ? However Good but seems as if we attending a law classroom session.
I am from Bangalore and wanted to buy another property from a renowned builder in Kolkata for a project on Rajarhat Road .. while checking the HIRA documents I noticed similar case that one tower was built with out being on the blue print .. now people are staying there .. people get followed looking at club house etc and never check properly
Rampant corruption in govt agencies, local leaders and various law enforcing authorities is the main reason behind such illegal construction. Greedy promoters must be taken to task alongwith others, as above.
Awesome.kolkata main illegal bahut sare tower ban rahe hai ,rera ka postar chipkake logo ko bevkoof banaya ja raha hai
In Nkda all are corrupt. Even it's ceo is full of corrupt practices
If this promoter didnt step in and bought the incomplete,unfinished project,today Elita Vista wouldnt be enjoying the status it holds today.Instead of being grateful,this is only an ego battle of old retired residents who are proving idle brain in devil’s workshop🤣🤣..if u guys go and see it urself..the 8th block doesnt impact anything major practically.The owners crying tht they lost common space,and ventilation are only satisfying their ego.Sureka is one of the oldest builders.Has huge respect in the construction Industry.By calling them fraud,the court has only diminished the value of real estate in Kolkata.If u see,no developer from other parts of India ever develop projects in Kolkata because of the same issue.The selfish crab mentality of people.Instead of welcoming development,they oppose it.After trying to work on one or two projects all big developers like Dlf,Unitech and Shapoorji has ditched Kolkata for the same reason.No one is talking abt the people living in the tower.The impact on them who r collateral damage in this war of ego.No one talks of the air quality decline after demolishing an entire structure.Specially the buildings are built on plinth,there is a huge underground basement below which can be damaged by such explosion.Few years later these same owners will cry again of dust and pollution and asthma along with leakage in basement and damage to their buildings as an aftermath of the this demolition and it will be fun to watch this drama again.Poor owners of block 8 are losing their home but the other residents will be losing their health and humanity..kudos.As per the highcourt,seems the judges r confused and responsible too..when they had an opportunity at first time to halt construction,they let it go ahead and kept changing their verdicts everytime.They make the indian law system sound like a joke.Any judge can interpret the laws in his or her way and change the meaning of whts lawful and whts unlawful.Anyways congrats to the old residents for this win and landmark judgement.I hope u dont spend u days in hospital because of the pollution u r going to create arnd u.
Kon Mero baniyeche
bhai microphone aur audio zara thik karlena. simple phone recording bhi chalega. aisa editing karke voice pura kharab mat kar
An extremely informative, well explained and important presentation. Well done!
Royal enclave is also fraud and cheater.
Want to purchase one floor in Elita Garden Vista 😂
What about the current ongoing projects the promoters are making? How to know whether they are fraud or genuine ? And what if they are leaving some space for future development and later on illegally add more towers there . Any ways the customer will be the person who will feel stupid at the end . This really feels sad .